सुनील मित्तल की इस नई घोषणा ने मचा दिया तहलका, जानिए कैसे बदल जाएगी आपकी जिंदगी

सुनील मित्तल का नाम आज भारत के सबसे बड़े बिजनेस टाइकून में गिना जाता है। एयरटेल (Airtel) के संस्थापक और चेयरमैन के रूप में उनकी कहानी संघर्ष, लगन, और असफलताओं से भरी हुई है। यह कहानी न केवल एक सफल बिजनेसमैन बनने की है, बल्कि यह दिखाती है कि अगर आपके पास साहस और दृढ़ संकल्प है, तो आप कितनी भी बाधाओं को पार कर सकते हैं।

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शुरुआती जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

सुनील भारतीय मित्तल का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता एक पॉलिटिशियन थे, और बचपन से ही यह माना जाता था कि सुनील भी इसी दिशा में जाएंगे। हालांकि, सुनील ने अपने लिए अलग सपने देखे। वे पॉलिटिक्स की बजाय बिजनेस की ओर आकर्षित थे। 1976 में, उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और केवल 18 साल की उम्र में अपना पहला बिजनेस शुरू किया। उन्होंने साइकिल पार्ट्स बेचने का काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने अपने पिता से ₹20,000 उधार लिए।

शुरुआती असफलताएं

पहले बिजनेस में अनुभव की कमी और मार्केट की जानकारी न होने की वजह से सुनील को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने जल्द ही महसूस किया कि यह व्यवसाय उनके सपनों को पंख नहीं दे सकता। इसके बाद उन्होंने कई अन्य व्यवसायों में भी हाथ आजमाया, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। 1980 में, उन्होंने एक नई शुरुआत की। उन्होंने जापानी कंपनी Suzuki से साझेदारी की और पोर्टेबल जनरेटर भारत में बेचने शुरू किए। शुरुआत में उन्होंने इन जनरेटर्स को छोटे वेंडर्स, जैसे समोसे और टिक्की बेचने वालों के लिए मार्केट किया। हालांकि, जल्द ही उन्हें यह एहसास हुआ कि असली ज़रूरत छोटे ऑफिस और दुकानों की है। इस बदलाव से उनकी कंपनी को बड़ी सफलता मिली।

बड़ा झटका और नई शुरुआत

1980 के दशक के अंत में, सरकार ने पॉलिसी बदली और जनरेटर के आयात पर रोक लगा दी। इससे सुनील का पूरा कारोबार ठप हो गया। लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय, नए मौके तलाशने शुरू किए। ताइवान की यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि वहां लोग पुश-बटन टेलीफोन का इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि भारत में रोटरी डायल फोन का जमाना था। यह उनके लिए एक बड़ा बिजनेस आइडिया साबित हुआ।

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टेलीफोन इंडस्ट्री में कदम

1984 में, उन्होंने ताइवान की Kingtel कंपनी से पुश-बटन टेलीफोन आयात करने और उन्हें भारत में असेंबल करने का काम शुरू किया। यह आइडिया हिट हुआ, और कुछ ही समय में उनकी कंपनी की डिमांड काफी बढ़ गई। इसके बाद उन्होंने जर्मनी की Siemens कंपनी के साथ टाई-अप किया और भारत में ही इन टेलीफोन्स का निर्माण शुरू किया। 1990 तक उन्होंने अपने बिजनेस को फैक्स मशीन, कॉर्डलेस फोन और अन्य टेलीकॉम इक्विपमेंट तक विस्तार किया। उनका ब्रांड ‘Beetel’ उस समय बहुत पॉपुलर हुआ।

मोबाइल टेलीफोन बिजनेस की शुरुआत

1992 सुनील मित्तल के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। भारत सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को मोबाइल टेलीफोन बिजनेस में आने का मौका दिया। सुनील ने यह लाइसेंस पाने का दृढ़ निश्चय किया। हालांकि, एक शर्त यह थी कि लाइसेंस सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा जिनके पास टेलीकॉम ऑपरेटर का अनुभव हो।

इस चुनौती का सामना करने के लिए उन्होंने फ्रांस की Vivendi कंपनी के साथ साझेदारी की। इस कदम से उन्हें तकनीकी सहायता और अनुभव दोनों मिला। आखिरकार, 1995 में उन्होंने ‘भारतीय सेल्यूलर लिमिटेड’ (BCL) की स्थापना की, जिसे आज हम Airtel के नाम से जानते हैं।

चुनौतियां और सफलता

Airtel के शुरुआती दिनों में, सुनील मित्तल को नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने और फंड जुटाने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बैंकों और निवेशकों को विश्वास दिलाना आसान नहीं था। लेकिन उनकी लगन और मेहनत से उन्हें फंडिंग मिली। इसके बाद उन्होंने नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए Ericsson और Nokia जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी की। 2000 तक Airtel ने पूरे भारत में अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी।

अफ्रीका में विस्तार

2010 में, सुनील मित्तल ने अफ्रीका की Zain Telecom कंपनी के ऑपरेशंस को $10.7 बिलियन में खरीद लिया। यह एक बड़ा जोखिम था, क्योंकि अफ्रीका का मार्केट भारत से बहुत अलग था। उन्होंने वहां किफायती प्लान लॉन्च किए, जिससे Airtel को वहां भी सफलता मिली।

4G और नई तकनीक

2012 में, Airtel भारत में 4G सेवाएं लॉन्च करने वाली पहली कंपनी बनी। इसने उन्हें टेलीकॉम सेक्टर में बड़ी बढ़त दिलाई। उनकी रणनीति हमेशा से ही नई तकनीक को अपनाने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने की रही है।

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सामाजिक योगदान

सुनील मित्तल का मानना है कि एक बिजनेस लीडर का काम सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना भी है। 2000 में उन्होंने ‘भारती फाउंडेशन’ की स्थापना की, जो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के विकास के लिए काम करती है।

सुनील मित्तल से सीखने योग्य बातें

सुनील मित्तल का जीवन यह सिखाता है कि सफलता का सही अर्थ वही है, जो समाज के लिए उपयोगी हो। उन्होंने यह साबित किया कि जब आप कम्युनिटी को अपना मानते हैं और उनकी भलाई के लिए काम करते हैं, तो आपकी सफलता और भी सार्थक बन जाती है।