राधाकिशन दमानी की अद्भुत कहानी: कॉलेज ड्रॉपआउट से भारत के सबसे बड़े बिजनेस टाइकून तक!

सुबह 10 बजे का समय था, और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में हलचल चरम पर थी। हर तरफ ट्रेडर्स और ब्रोकर्स की आवाजें गूंज रही थीं। इस शोर-शराबे के बीच, एक शख्स सफेद शर्ट और पैंट पहने शांत खड़ा था। उसकी आंखों में गहरी सोच और आत्मविश्वास की झलक थी। ये थे राधाकिशन दमानी, दलाल स्ट्रीट का वो नाम जिन्होंने स्टॉक मार्केट के नियम ही बदल दिए। दमानी ने हर्षद मेहता जैसे बड़े खिलाड़ियों को हराकर, न केवल रिकॉर्ड कायम किया बल्कि खुद को भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में स्थापित किया। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था।

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संकट में जन्मी नई शुरुआत

राधाकिशन दमानी एक साधारण मारवाड़ी परिवार में पैदा हुए थे। उनका बचपन मुंबई के एक छोटे से अपार्टमेंट में बीता। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में पढ़ाई शुरू की, लेकिन एक साल के भीतर कॉलेज छोड़ दिया। उनका झुकाव पढ़ाई की बजाय व्यवसाय की ओर था। बॉल बेयरिंग्स का व्यापार शुरू करके उन्होंने अपने दम पर कुछ नया करने का फैसला किया।

लेकिन तभी उनकी जिंदगी में एक बड़ा झटका लगा। उनके पिता का अचानक निधन हो गया। 32 साल की उम्र में उन्हें अपने पिता का ब्रोकरेज बिजनेस संभालना पड़ा। यह दौर उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। परिवार की जिम्मेदारी और आर्थिक दबाव के बीच, उन्होंने स्टॉक मार्केट में कदम रखा।

दलाल स्ट्रीट का सफर

जब दमानी ने स्टॉक मार्केट में प्रवेश किया, तो उन्होंने देखा कि ट्रेडिंग में बड़े मुनाफे की संभावनाएं थीं। हालांकि, उन्होंने समझा कि इसके लिए गहरी समझ और सही रणनीति की जरूरत है। उन्होंने मार्केट को करीब से ऑब्जर्व किया और धीरे-धीरे खुद को ट्रेडिंग के लिए तैयार किया।

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इस दौरान, उनकी मुलाकात मनु मानेक से हुई। मनु को दलाल स्ट्रीट का “कोबरा” कहा जाता था, जो शॉर्ट सेलिंग के मास्टर थे। दमानी ने मनु से शॉर्ट सेलिंग की बारीकियां सीखीं। शॉर्ट सेलिंग का मतलब होता है, स्टॉक्स को पहले उधार लेकर बेचना और बाद में कम कीमत पर खरीदना। मनु की सीख ने दमानी की सोच को पूरी तरह बदल दिया।

रिस्क और रिवॉर्ड का खेल

दमानी ने महसूस किया कि स्टॉक मार्केट सिर्फ नंबर का खेल नहीं है, बल्कि यह भावनाओं और रणनीतियों का मेल है। उन्होंने सीखा कि बाजार में डर और लालच का संतुलन ही सफलता की कुंजी है। मनु मानेक ने दमानी को यह भी सिखाया कि हर ट्रेडर का एक पैटर्न होता है, और उसे समझना बेहद जरूरी है।

हर्षद मेहता से मुकाबला

90 के दशक में, हर्षद मेहता का नाम हर जगह गूंज रहा था। मेहता को “बिग बुल” कहा जाता था, जो अपने ट्रेडिंग स्कैम के जरिए बाजार को प्रभावित कर रहे थे। दमानी ने अपनी शॉर्ट सेलिंग रणनीतियों से न केवल मेहता को हराया बल्कि एक महीने के भीतर 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा भी कमाया।

डीमार्ट: रिटेल की नई परिभाषा

स्टॉक मार्केट में सफलता के बाद, दमानी ने रिटेल सेक्टर में कदम रखा। उन्होंने 2002 में डीमार्ट की शुरुआत की। उनका उद्देश्य था, किफायती दामों पर रोजमर्रा के सामान की उपलब्धता। आज डीमार्ट भारत के सबसे बड़े रिटेल चेन में से एक है।

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सफलता के सूत्र

राधाकिशन दमानी की कहानी हमें कई सबक सिखाती है:

  • साहस और धैर्य: विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
  • सीखने की ललक: उन्होंने अपने मेंटर से सीखा और अपनी रणनीतियों को लगातार बेहतर बनाया।
  • लंबी सोच: उन्होंने तुरंत लाभ के बजाय दीर्घकालिक सफलता पर ध्यान दिया।

Disclaimer
यह लेख राधाकिशन दमानी की जीवन यात्रा और उनके व्यवसायिक सफलता के बारे में जानकारी प्रदान करता है। सभी आंकड़े और तथ्य विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए गए हैं और समय के साथ बदल सकते हैं। इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है और यह किसी भी प्रकार की वित्तीय सलाह नहीं है। कृपया किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।