अरे भाई, ओला इलेक्ट्रिक में क्या हो रहा है? सेल घट रही हैं, कंप्लेंट्स बढ़ रही हैं, और शेयर प्राइस भी गिर रहा है। कुछ ग्राहकों ने खुद ही ओला के स्कूटरों में आग लगा दी है, तो कुछ शोरूम में जाकर आग लगा रहे हैं। स्कूटर बिक नहीं रहे, कर्मचारी टिक नहीं रहे, और ओनर खुद एलन मस के नाम पर बोलकर खुद को बढ़ाई दे रहे हैं। फिर अगले दिन कॉमेडियन से शो 76 के बाद स्कूटर 150 तक पहुंच गया, और फिर वापस 76 पर आ गया। क्या हो रहा है ओला के साथ? क्या यह कंपनी जो कभी मार्केट लीडर थी, अब अपना नेतृत्व खो देगी?
इतनी शिकायतें अचानक क्यों आईं? क्या यह सब कभी हल होगा? क्या ओला कभी प्रॉफिट में आएगा? ये सब सवाल आपके भाई राहुल के पास हैं। इस वीडियो में मैं आपको आठ कारण बताऊंगा, जिनकी वजह से ओला इलेक्ट्रिक की हालत ऐसी हो रही है। इसके बाद हम जानेंगे कि ओला के ग्राहक, निवेशक, कंपनी और उसके फाउंडर के लिए आगे क्या हो सकता है।
चलिए, अब हम ओला इलेक्ट्रिक के पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर को विस्तार से समझते हैं। तो सबसे पहले, 6 महीने पहले, मार्च 2024 में ओला का मार्केट शेयर 52% था, और अब सितंबर 2024 में यह गिरकर सिर्फ 27% रह गया है। ओला इलेक्ट्रिक को हर महीने 80,000 शिकायतें मिल रही हैं, और तीन सरकारी एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। अब हम समझते हैं कि यह सब क्यों हो रहा है। ओला इलेक्ट्रिक की समस्या के आठ प्रमुख कारण हैं, जिनकी चर्चा हम करेंगे।
जल्दीबाजी और R&D की कमी
ओला ने 2021 में एक डच कंपनी, Etergo, को खरीदा था, और उसी कंपनी के बनाए स्कूटर को भारतीय बाजार में लॉन्च कर दिया। लेकिन इस स्कूटर को भारतीय सड़कों और जलवायु में कैसे परफॉर्म करेगा, इसका ठीक से परीक्षण नहीं किया गया। ओला ने इसे बिना किसी गहरे परीक्षण के जल्दी से लॉन्च कर दिया, जो आज उनकी समस्याओं का कारण बन गया।
बैटरी और फीचर्स में बदलाव
ओला ने S1 और S1 Pro स्कूटर लॉन्च किए, लेकिन इन दोनों स्कूटरों के बीच अंतर बहुत कम था। बाद में, उन्होंने कहा कि S1 को Pro मॉडल में फ्री में अपडेट कर देंगे। यह दिखाता है कि कंपनी ने शुरुआत में ही सही तरीके से फीचर्स की योजना नहीं बनाई थी।
सर्विस सेंटर की कमी
ओला ने जब स्कूटर बेचे, तो सर्विस सेंटर की व्यवस्था नहीं की थी। अब जब समस्याएं आ रही हैं, तो इनका समाधान करने के लिए पर्याप्त सर्विस सेंटर नहीं हैं, जिससे ग्राहकों को और भी परेशानी हो रही है। यह ओला की बड़ी गलती साबित हो रही है।
कूल फीचर्स पर ध्यान, लेकिन फंक्शनलिटी में कमी
ओला ने स्कूटर में टच पैड और बिना चाबी के लॉक जैसे कूल फीचर्स दिए, लेकिन ये फीचर्स ठीक से काम नहीं कर रहे। अगर लॉक सिस्टम या ऐप काम नहीं करता, तो स्कूटर को चालू करना नामुमकिन हो जाता है, जिससे ग्राहक और ज्यादा परेशान हो रहे हैं।
सर्विस और सपोर्ट की नाकामी
ओला ने डिलीवरी पर ध्यान दिया लेकिन सर्विस और सपोर्ट पर उतना ध्यान नहीं दिया। उनका ध्यान केवल स्कूटर की बिक्री पर था, लेकिन जब समस्या आई, तो ग्राहकों को समाधान नहीं मिल सका। यही वजह है कि शिकायतों की संख्या बढ़ रही है।
कर्मचारियों की कमी और अपमार्केट टार्गेट
ओला का स्कूटर मिडिल क्लास और गरीब लोगों के लिए है, लेकिन जब स्कूटर खराब होता है, तो उसे ठीक कराने में महीनों लग जाते हैं। यह परेशानी इन ग्राहकों के लिए और भी बड़ी हो जाती है, खासकर जब वे ईएमआई पर स्कूटर ले रहे होते हैं।
खराब ग्राहक सेवा और एंपैथी की कमी
ओला की ग्राहक सेवा में एंपैथी की भारी कमी है। जब ग्राहक शिकायत करते हैं, तो कंपनी का रवैया ठीक नहीं होता। भारत में लोग गलती को माफ कर देते हैं, लेकिन अगर कंपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करती, तो ग्राहक और भी गुस्से में आ जाते हैं।
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डीलर नेटवर्क की कमी
ओला का कोई डीलर नेटवर्क नहीं है, जबकि अन्य कंपनियां जैसे टीवीएस और बजाज के पास मजबूत डीलर नेटवर्क है। इससे ग्राहक परेशान होते हैं क्योंकि उन्हें सेवा और समर्थन के लिए कंपनी पर पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता है, और जब कंपनी खुद सर्विस नहीं दे पाती, तो ग्राहक का गुस्सा बढ़ता है।
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